25% गर्भवतियों को थायराइड, पर जयपुर के सबसे बड़े दो महिला अस्पतालों में इसकी जांच ही नहीं होती

सरकार राइट-टू-हैल्थ योजना लागू करने जा रही है, लेकिन प्रदेश में महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार के दावे खोखले ही हैं। महिलाओं के किसी भी तरह के ऑपरेशन या प्रसव से पहले जिस थायराइड की जांच अनिवार्य होती है, वही जांच जयपुर के दो सबसे बड़े महिला अस्पतालों, जनाना अस्पताल चांदपोल और महिला चिकित्सालय सांगानेरी गेट में नहीं होती। अस्पताल पहुंच रही गर्भवतियों को थायराइड और हार्माेनल जैसी सामान्य जांचें लिखी तो जाती हैं, लेकिन टेस्ट या ऑपरेशन के लिए को 5 किमी दूर एसएमएस या किसी प्राइवेट डायग्नाेस्टिक सेंटर के चक्कर लगाने पड़ते हैं। एक अध्ययन के अनुसार गर्भवती होने के बाद 20 से 25% महिलाएं थायराइड का शिकार हो जाती हैं। इसके बावजूद अस्पताल में इसकी व्यवस्था नहीं है। डॉक्टरों के अनुसार थायराइड से कम-ज्यादा से न केवल महिला बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे की जान को भी हर समय खतरा बना रहता है।



एक माह से प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट की मशीन खराब : जनाना चांदपोल में प्रशासन की लापरवाही के चलते महिलाअों की सर्जरी से पहले खून की जांच करने वाली प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट मशीन पिछले एक माह से खराब पड़ी है। जिससे मरीजों को निजी सेन्टरों पर 300 से 500 रुपए में जांच करवानी पड़ रही है। 


3-डी, 4-डी साेनाेग्राफी मशीन नही : महिलाओं के इन अस्पतालाें में महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे की किसी भी तरह की बिमारी का पता लगाने के लिए 3-डी, 4-डी साेनाेग्राफी मशीन नही है।  यहां राेजाना करीब 300 सामान्य साेनाेग्राफी हाेती है। लेकिन 3-डी, 4-डी के लिए निजी सेन्टरों पर महिलाअाें काे जाना पडता है। जाे महिलाएं यहां साेनाेग्राफी के लिए अाती है, उनके बैठने के लिए वेटिंग हाॅल तक नही है। एेसे में काफी देर तक गलियारे में घंटाें परेशान खडी रहती है।


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